धवल कूट

संभवनाथ जिनराज का,
धवल कूट धर जेह ।
मन वच तन कर पूजहूूँ,
शिखर सम्मेद यजेह ।।

ओं ह्रीं श्री संभवनाथ जिनेंद्रादी मुनी ९ कोड़ा कोड़ी ७२ लाख ४२ हजार ५०० मुनी इस कूट से सिद्ध भये तिनके चरणारबिंद को मेरा मन वचन काय से बारंबार नमस्कार हो ।